गुरमुखि धिआवहि सि अम्रित पावहि सेई सूचे होही ॥

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गुरमुखि धिआवहि सि अम्रित पावहि सेई सूचे होही ॥
अहिनिसि नाम जपह रे प्राणी मैले हछे होही ॥३॥
जेही रुति काइआ सुख तेहा तेहो जेही देही ॥
नानक रुति सुहावी साई बिन नावै रुति केही ॥४॥१॥

जो गुरमुख ध्यान करते हैं, दिव्य अमृत पाते हैं वो पूरी तरह शुद्ध हो जाते हैं,
दिन रात प्रभु का नाम जपो तो तुम्हारी आत्मा भी शुद्ध हो जाती है,
जैसी यह ऋतु है वैसे ही हमारा शरीर अपने आप को ढाल लेता है,
नानक कह रहे हैं कि जिस ऋतु में प्रभु का नाम नहीं उस ऋतु का कोई महत्व नहीं है।
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पुरब की शुभ कामनायें!

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